बूड़त भक्त उबारि लियो प्रभु, नाम सुपावन भे तव तेरो।
मेरिहि बेर फिरो तव लोचन, दर्शन हेतु कियो अति देरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
बारहिंबार भ्रमे चहुँ खानि, सहे दुख संसृति दाह दरेरो।
कामहुँ क्रोध भये झष नक्र, गहे पग जालिम जोर बड़ेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
चंचल चित्त को चक्र चलो नित, होत गुणावन मान घनेरो।
मत्सर मोह फिरे सब खोह, लहे नहिं टोह अदंभ अनेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
कामिनि कूकरि ह्वै बड़ि भूखरि,सूकरि प्राण हरो सब केरो।
दीन दयाल कृपाल दयानिधि, डाकिनि के करु नाथ अहेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो.....
लोभ अपार महा विकरार, प्रहार करो मद जालिम शेरो।
आइ अविद्यहिं घेरि लियो अब, धाइधरो तम कूपहिं गेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
त्रिगुण फाँस कियो मम नाश,अनाश अजा सब जीवन्ह घेरो।
पाप प्रपंच रचो बड़ जोर, मरोड़ लियो भुज दंड सबेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
देहन रोग दियो बहु सोग, वियोग कियो शुभ मारग मेरो।
इन्द्रिन नारि चतुर्दश भारि, दियो मति जारि बिगारि करेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
झूठहिं जारि महाछल धारि, अनाड़ि असोच पड़ो जग डेरो।
चोरि नशा गरिसा अरिसा, धरि मारत जीवन को नहिं हेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
केतिक पाप कियो जग बाप, लहे सब शाप न जाइ गनेरो।
कीन्ह प्रभू अपराध अनंतहि, पै गुरु देवन्ह कै दृढ़ चेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
गंग सुपावन पाप दहावन, धीर धरावन मन्तर तेरो।
नाहिं जप्यो अस नाम महाधन, मूढ़ न मोसम आन बड़ेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
काशिसु तूल सुमंगल मूल, गुरू पग धूल दहे अघ ढेरो।
नाहिं गहे कधि पायन्ह पंकज, कूर सहे नहिं आनक खेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
रूप तिहार न आन निहार, करे सुविहार सुदासन तेरो।।
मूढ़ न ध्यान धरो सपनो महुँ, कामिनि कंचन में चित गेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
दामिनि जोत सदा उर होत, सबै सुध खोत जो जाय निहेरो।
कोटिन्ह विद्युत तार असंखन, मोतिन माल न जाय गनेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
तत्वन्ह रंग करे चित चंग, अनंग मरे रवि चन्दर हेरो।
नाहिं धर्यो अस ध्यान अमोलक,कोटिन्ह पाप कियो खलजेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
शंख असंख बजे गलि बंक, अरू गज घंट न जाय सुनेरो।
दुंदुभि नाद महा विसमाद, हरे सुप्रमाद न चित्त चलेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
नारद वीण महा सुप्रवीण, यकीन भयो सुनि शारद टेरो।
बाजत मोहन की मुरली, सुरली सुनि सूरति अन्तर प्रेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
बादल की धुनि घोर करोड़, मरोड़ दियो मन चंचल मेरो।
बाजत राग छतीस अतीस, सुनी भइ सूरति राम को चेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
एकहिं तार करे झनकार, भये अविकार मिले सुख ढेरो।
कर्म विकर्म अकर्म भये सब, द्वन्द्वरु द्वैत रहे नहिं नेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
शारद शेष महेश गणेश, सुरेश दिनेश न तन्तर प्रेरो।
नाहिं रमेश ब्रजेश निशेष, अशेष भयो लखि सूरति तेरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....
हे गुरुदेव लखें जन भेव, करें भव खेव समर्थ घनेरो।
जौ नहिं हेरहु व्यासन्ह' को प्रभु, खाइ मरौं विष लाग न देरो।।
जानत हौं सब लोकन्ह में गुरु पाप विमोचन नाम तिहारो....